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एक कहानी, माँ की ममता की

एक बच्चा जिसके सिर ऊपर से बाप का साया,  उसके जन्म लेने के बाद ही उठ गया था | माँ ने अपने बच्चे को खूब प्यार दिया उसे बाप की कमी कभी महसूस नहीं होने दी | माँ अपने पुत्र से बहुत प्यार करती है | उस को पालती है, पोस्ती है, उसका हर तरीके से धयान रखती है | उसको हर बाधा से बचाती है | धीरे धीरे जब बच्चा बढ़ा होता है, उसको समाज की समझ आती है, तो वह अपनी माँ से कहता है, " माँ तुम बहुत करूप हो, तुम्हारी एक आँख नहीं है, तुम बिलकुल अच्छी नहीं लगती" | यह सुनकर भी माँ ने गुस्सा नहीं किया सोचा कि बच्चा है और उसको छमा कर दिया |

समय बीता वही बच्चा स्कूल जाने लगा | स्कूल में अध्यापक ने सभी बच्चों के माता पिता को मीटिंग के लिए बुलाया अब यह बच्चा  सोचता है कि मेरी माँ करूप है, मैं अगर माँ को स्कूल लेकर आ गया तो मेरे दोस्त मेरा मज़ाक उड़ाएंगे, तो इस बच्चे ने माँ को मीटिंग के बारे में कुछ नहीं बताया | मीटिंग के दिन सभी बच्चों के माता पिता मीटिंग में आये बस इसकी माँ ना आयी तो इसकी अध्यापक ने फ़ोन करके इसकी माँ को स्कूल बुलाया | माँ को स्कूल में देख यह बच्चा बहुत गुस्से में था | इसके दोस्तों ने इसकी माँ को देख कर मज़ाक उड़ाया कुछ दोस्त तो डर ही गए, वही सब कुछ हुआ जिसका इस बच्चे को डर था |

कोई दिन ना ऐसा होता जब यह बच्चा अपनी माँ को नहीं कोसता | समय बीतता गया स्कूल के बाद यह बच्चा अब कॉलेज में पढ़ने के लिए जाता है | समय बदल गया लेकिन आज भी यह बच्चा अपनी माँ से नफरत करता है | दिन ब दिन इसकी नफरत माँ के लिए बढ़ती जा रही है उधर दिन ब दिन माँ का प्यार अपने बच्चे के लिए बढ़ता चला जा रहा है |

कॉलेज ख़तम होने के बाद अब इस लड़के को दिल्ली शहर में नौकरी मिल गयी | अब यह सोचता है कि नौकरी मिल गयी अब मुझे मौका मिला है माँ से दूर होने का | यह बदनसीब बच्चा उस जन्नत को छोड़ना चाहता था जिसे  भगवान ने बहुत प्यार से बनाया होगा | खैर, अब यह लड़का नौकरी पाकर माँ को छोड कर दिल्ली चला गया | कुछ समय बाद इसने शादी भी कर ली, बिना अपनी माँ को बताये | चार पांच साल बीत गए इसने अपनी माँ को पूरी तरह से भुला दिया | अपनी पतनी को और बच्चों को अपनी माँ के बारे में कुछ नहीं बताया|

 माँ को सब पता होता है अपनी औलाद के बारे में | माँ को पता था कि उसका बच्चा उसके पास नहीं आना चाहता, चार पांच साल यही सोचकर निकाल दिए कि चलो वह तो खुश है ना वहां पर | फिर एक दिन माँ की तबियत खराब  होने लगी तो माँ ने सोचा कि अब शरीर का कोई भरोसा नहीं है कब मृत्यु आ जाए | इस से पहले कि मैं इस संसार को अलविदा कर जाऊं मुझे एक बार अपने बच्चे से मिलने जाना है | यह सोच कर माँ ने दिल्ली जाने का फैसला किया |

दिल्ली पहुंच कर माँ को पता नहीं था कि कहाँ जाना है | तो माँ ने उसी विभाग से संपर्क किया जिस विभाग में यह लड़का नौकरी करता था | चलो करते कराते माँ को इसका पता मिल गया | अब माँ बहुत खुश है और हो भी क्यों न इतने सालों के बाद अपने बच्चे को जो मिलना था | माँ उसी पते पर पहुंच गयी, घर की घंटी बजायी तो बहु ने दरवाजा खोला और पुछा कौन हो आप तो माँ ने बताया कि उस बच्चे की माँ है जिससे उसने शादी की है पर बहु ने कहा उसकी कोई सास नहीं है | ज़ोर देने पर बहु ने अपने पति को फ़ोन किया और बताया कि कोई बूढ़ी औरत आयी है और खुद को आपकी माँ बताती है | इस लड़के ने पुछा दिखने में कैसी है तो पतनी बोली बहुत करूप है तो हंसने लगा और बोला मैं इतना खूबसूरत हूँ, तुम्हे लगता है मेरी माँ करूप होगी, मेरी कोई माँ नहीं है, निकाल दो उस बुढ़िया को | बहु ने ऐसा ही किया माँ को निकाल दिया |

माँ वापिस अपने गाँव आ गयी | माँ समझ गयी थी कि अब उसका बच्चा उसे कभी नहीं मिलेगा | कुछ दिनों बाद माँ ने आखरी सांस ली और इस संसार को अलविदा कह दिया | यह खबर अब उस बदनसीब बेटे को मिली तो अब यह आना तो नहीं चाहता लेकिन लोगों के डर से इसे आना पडा | इसे डर था कि लोग क्या कहेंगे कि आखरी समय पर बेटा नहीं आया, तो यह अकेला आ गया | वहां इसको गांव का सरपंच मिला उसने एक चिट्ठी दी और कहा यह चिट्ठी तुम्हारी माँ ने तुम्हारे लिए लिखी थी |

इस बच्चे ने चिठ्ठी पढ़नी शुरू की, चिठ्ठी पढ़ते ही इसने बेइंतेहा रोना शुरू कर दिया | क्या था इस चिठ्ठी में जो एक पत्थर दिल इंसान को रुला दिया | ज़िन्दगी में पहली बार यह इंसान अपनी माँ को याद कर रहा था और याद करके बीते हुए समय में जो गलतियां की उसके लिए पछतावा कर रहा था |

चिठ्ठी में माँ ने लिखा था कि हे मेरे प्रिये पुत्र मुझे पता था तू मेरी करूपता की वजह से मुझे शुरू से पसंद नहीं करता था | लेकिन बेटा मैं भी सुन्दर थी मैं शुरू से करूप नहीं थी | बेटा बचपन में खेलते समय तुम्हें चोट लग गयी थी | डाक्टर ने कहा तुम्हारी आँख में चोट लगने की वजह से तुम कभी उस आँख से देख नहीं सकोगे यह सुनते ही बेटा मैंने तुम्हें अपनी एक आँख दान कर दी | बेटा खुद को करूप करके मैंने तुम्हें सुंदरता दे दी ताकि लोग तुम्हें करूप न कहें | इतनी चिठ्ठी पढ़ते ही वो इंसान खुद को कोसने लगा काश उसने अपनी माँ को माँ समझा होता काश उनको उनके हिस्से का प्यार दिया होता, लेकिन कहते हैं न कि बीते हुए समय में की हुयी गलतियां केवल पछतावा दे जाती है, कुछ गलतियों को सुधारने के लिए समय ही नहीं मिलता |

दोस्तों अपने माता पिता का सत्कार कीजिये, मंदिर वाला भगवान तब तक आपको कोई फल नहीं देगा जब तक घर वाला भगवान आपसे नाराज़ हो | अपने माता पिता की सेवा कीजिये उनको उनके हिस्से का प्यार दीजिये |

उम्मीद है आपको पढ़कर अच्छा लगा होगा अपने कीमती विचार जरूर कमेंट बॉक्स में दीजिये | इस कहानी को जयादा से जयादा लोगो के साथ शेयर कीजिये ताकि अगर कोई अपने माता पिता से नाराज़ है तो उन्हें मना ले उनके गले लगे उनसे प्यार करे |

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