सबसे पहले 1952 में तंजानिया में चिकनगुनिया के वायरस का पता चला था। यह एक रिबोन्यूक्लिक एसिड (आरएनए) वायरस है जो टोगवारिडाय (Togaviridae) अल्फावायरस वर्ग से संबंधित है। ये वायरस मच्छरों के काटने के बाद सीधा खून में प्रवेश कर जाता है।
चिकनगुनिया के लक्षण
1. तेज़ बुखार
चिकनगुनिया के शुरुआती लक्षणों में से एक है तेज़ बुखार आना। चिकनगुनिया में बुखार 102 डिग्री सेल्सियस से लेकर 104 डिग्री सेल्सिमयस तक पहुंच जाता है। बुखार हफ्ते भर या दस दिनों तक भी बना रह सकता है।
2. जोड़ों में तेज़ दर्द
जोड़ों में तेज़ दर्द होना, इस बीमारी का एक और प्रमुख लक्षण है। जोड़ों में काफी तेज़ दर्द होता है जिसकी वजह से हाथ-पैर के हिलने- डुलने में भी तकलीफ होती है। यह दर्द काफी दिनों तक बना रहता है। कभी-कभी तो जोड़ों में दर्द के साथ ही सूजन की शिकायत भी हो जाती है।
3. रैशेज़ या चकत्ते पड़ जाना
ऐसा ज़रूरी नहीं है कि हर संक्रमित के शरीर पर चकत्ते या रैशेज़ देखे जाएंगे, लेकिन कुछ मरीज़ों में ऐसे लक्षण भी नज़र आते हैं। ये चकत्ते चेहरे पर, हथेली पर और जांघों पर नज़र आते हैं।
4. अन्य लक्षण
इन सबके अलावा तेज़ सिर दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द, चक्कर आना और उल्टी महसूस होना भी इस बीमारी के सामान्य लक्षणों में से एक है।
बचाव के उपाय
जैसा की चिकनगुनिया भी मच्छरों से फैलता है तो हमें अपनी प्रारम्भिक सुरक्षा मच्छरों से करनी चाहिए जैसे-
• मच्छरों को घर से बाहर रखने के लिए खिड़की/ दरवाज़े बंद रखें।
• रात में मच्छर दानी लगा के सोएं।
• ऐसे कपड़ें पहनें जो फुल हो जैसे-लंबी आस्तीन वाली शर्ट, लंबी पैंट, मोज़े और जूते जिससे मच्छर के काटने से बचा जा सके।
• घर और उसके आसपास पानी इकट्ठा नहीं होने दें।
• डॉक्टर के द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार ही कीट रेपेलेंट का उपयोग करें।
चिकनगुनिया का इलाज
त्वचा विशेषज्ञ डॉ. सी.एम गुरि का कहना है कि इसके इलाज के लिए अभी तक कोई भी वैक्सीन का आविष्कार नहीं हो पाया है लेकिन चिकनगुनिया बुखार के समय पेरासेटामोल दवाई लेने से काफी राहत मिलती है। साथ ही पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ और भरपूर आराम करने से भी राहत मिलती है। बाकी खून की जांच करवा के भी चिकनगुनिया के चरण का पता लगाया जा सकता है। साथ ही ज़्यादा परेशानी आने पर चिकित्सक से परामर्श लेना ही सबसे उत्तम निर्णय होता है।
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